*एक अच्छी स्वातंत्र्य अमृत स्मारिका*
एक अच्छी स्वातंत्र्य अमृत स्मारिका
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स्वातंत्र्य अमृत स्मारिका ,संस्कार भारती बहजोई (जिला संभल) उत्तर प्रदेश विक्रम संवत 2079 इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इसके सभी 72 पृष्ठ स्वतंत्रता संग्राम की भावना से ओतप्रोत सामग्री से भरे हुए हैं अर्थात स्मारिका का प्रत्येक पृष्ठ अपने उद्देश्य के लिए समर्पित है । ज्यादातर सामग्री कविताओं के रूप में प्रकाशित हुई है । सभी का विषय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करना तथा उनके गौरवशाली बलिदान की याद जनता को दिलाना है ।
कहानी के रूप में दिविक रमेश का एक अच्छा लेख देशभक्त डाकू शीर्षक से प्रकाशित हुआ है । इसमें पंडित गेंदालाल दीक्षित की क्रांतिकारी जीवन गाथा बताई गई है । उनका जन्म 1888 में आगरा के एक गांव बटेसर में हुआ था। मृत्यु 21 दिसंबर 1920 को हुई। पंडित गेंदालाल दीक्षित को अंग्रेजों ने पकड़ लिया था फाऀसी या आजीवन कारावास मिल सकता था । ऐसे में चतुराई के साथ गेंदालाल जी ने अंग्रेजों से कहा कि उन्हें सरकारी मुखबिर बना लिया जाए । अंग्रेज गच्चा खा गए और इस तरह गेंदालाल जी अंग्रेजों की पकड़ से मौका पाकर निकल गए । हालाऀकि बाद में उनको और उनके परिवार को अपार कष्ट सहना पड़ा । दिविक रमेश की प्रस्तुति बाल कहानी के रूप में बहुत रोचक बन गई है।
एक अन्य लेख रामपुर के स्वतंत्रता सेनानी सुरेश राम भाई के बारे में रवि प्रकाश का है । इन्होंने देश की आजादी के लिए जेल यातनाएऀ सही थीं। किंतु जब आजादी मिली तब यह सत्ता के संघर्ष से बाहर रहकर विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में तल्लीन हो गए ।
वारींद्र घोष ,राजाराम भारतीय ,हेमू कालाणी ,अनंत कान्हरे ,कुमारी नैना आदि स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथाओं को स्मारिका में समुचित महत्व मिला है।
आचार्य देवेंद्र देव (बरेली) ने एक गीत के माध्यम से एक नया विषय आजादी के संदर्भ में प्रस्तुत किया है ,जिसका अभिप्राय नए भारत के निर्माण के लिए बहुत सी विकृतियों को दूर करने का संघर्ष बनता है । गीत के बोल इस प्रकार हैं :
हम अपनी आजादी का
पथ से भटकी खादी का
पहले रूप सजाएऀगे
फिर त्यौहार मनाएऀगे
(प्रष्ठ 48)
एक अच्छी स्वातंत्र्य अमृत स्मारिका के प्रकाशन के लिए रूप किशोर गुप्ता (मार्गदर्शक) ,अनिल कुमार (संरक्षक) ,कन्हैयालाल वार्ष्णेय (प्रभारी) ,श्रीमती वंदना वार्ष्णेय (प्रधान संपादक) ,दीपक गोस्वामी चिराग (संपादक) ,श्रीमती शिखा वार्ष्णेय (संपादक) तथा शरद कुमार (ई. संपादक) बधाई के पात्र हैं।
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समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451