एक अकेला कवि..
एक अकेला कवि हु, साहब
ख्यालो मे कुछ डूबा हुआ//
परिस्थितियों से हारा हुआ
गमो से टूटा हुआ //
था कभी अभिमान मे भी अकड़ा हुआ
अब हु, खुद की तन्हाइयो मे जकड़ा हुआ //
एक अकेला कवि हु, साहब
ख्यालो मे कुछ डूबा हुआ//
भावो की अभिव्यक्ति हुई,कलम से नदियों की तरह
नदिया जा मिली समुनदर से,कलम से कागज की तरह //
फ़िरभी उलझा हु खुद मे
बेफिसूल की बातो की तरह//
एक अकेला कवि हु ना साहब
ख्यालो मे थोड़ा डूबा हुआ//