*एक्सपायरी डेट ढूँढते रह जाओगे (हास्य व्यंग्य)*
एक्सपायरी डेट ढूँढते रह जाओगे (हास्य व्यंग्य)
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किसी भी वस्तु पर उसकी एक्सपायरी डेट ढूँढने में सबसे ज्यादा मुश्किल आती है । यही एकमात्र सबसे ज्यादा जरूरी सूचना होती है और प्रायः इसी को इतना छुपा कर लिखा जाता है कि चश्मा लगा कर भी जो ढूँढ ले उसकी पूरे घर में वाहवाही हो जाती है।
कई बार कुछ लोग प्रयत्न करते हैं और असफल रहते हैं । कई बार कुछ दूसरे लोग कोशिश करते हैं ,उन्हें सफलता मिल जाती है । कई बार घर के तीन-चार लोग प्रयत्न करने पर भी वस्तु की एक्सपायरी डेट नहीं ढूँढ पाते । आजकल कुछ वस्तुओं पर एक्सपायरी डेट के नाम पर यह लिखा रहता है कि निर्माण की तिथि से इतने समय के बाद यह एक्सपायर हो जाएगी । खोज करने वाला व्यक्ति अपनी इस सफलता पर थोड़ा उत्साहित होता है लेकिन फिर वही परेशानी आती है कि वस्तु के निर्माण की तिथि अर्थात मैन्युफैक्चरिंग डेट पता चले ! तब उसके बाद हिसाब लगाकर महीने और वर्षों की गणना करके एक्सपायरी डेट का आकलन किया जाए ।
पता नहीं इतना ज्यादा कठिन एक्सपायरी डेट को क्यों बना दिया गया है ? सीधे-सीधे वस्तु पर लिख दिया जाए कि अमुक निर्माण की तिथि है ,अमुक एक्सपायरी डेट है । वह भी इतना साफ-साफ कि जिस तरह वस्तु का नाम पढ़ने में आता है ,ठीक उसी प्रकार एक्सपायरी डेट भी पढ़ने में आ जाए ।
एक्सपायरी डेट पढ़ने में न आने के कारण बेचारा ग्राहक दुकानदार का भरोसा करने के लिए मजबूर हो जाता है । दुकानदार कहता है आप आराम से ढूंढते रहना । कहीं न कहीं लिखी जरूर होगी। ग्राहक भी इस बात को जानता है कि कहीं न कहीं लिखी अवश्य होगी । लेकिन प्रश्न तो यह है कि लिखी कहाँ है ? दूरबीन हाथ में लेकर तो कोई चलता नहीं है और इतनी माथापच्ची करके अगर एक्सपायरी डेट देखनी पड़े तब तो यह बड़ी-बड़ी प्रतियोगिता-परीक्षाओं में प्रैक्टिकल का विषय बन जाएगा । मालूम चला कि स्कूल में प्रैक्टिकल हो रहा है और उसमें बाजार से चार वस्तुएँ लाकर रख दी गईं। इनमें दस मिनट के भीतर एक्सपायरी डेट ढूंढ कर बताइए ? जिसने ढूंढ लिया ,वह पास हो गया । जो नहीं ढूंढ पाया ,वह फेल हो गया। निर्माता कब चाहते हैं कि उनकी वस्तु कभी भी एक्सपायर हो ! फैक्ट्री में माल तैयार होने से लेकर बाजार तक जाने में भी समय लगता है । फिर दुकानदार के पास वस्तु की बिक्री में भी समय लगता है । अगर एक्सपायरी डेट साफ-साफ लिख दी जाएगी तब तो ग्राहक सबसे पहले उसी को पढ़ेगा और अगर एक दिन भी आगे निकल गयी है तो खरीदने से इंकार कर देगा । इसमें निर्माता का भारी घाटा होगा । घाटे के लिए सामान कौन बनाता है ? इसलिए एक्सपायरी डेट को ही गोलमोल तरीके से इस प्रकार से लिखो कि वह गोल हो जाए अर्थात पढ़ने में न आए । कुछ भी हो वस्तुओं के निर्माताओं के बुद्धि-चातुर्य की दाद देनी पड़ेगी कि वह ऐसी कलात्मकता के साथ वस्तुओं पर एक्सपायरी डेट लिखते हैं कि आदमी ढूंढता रह जाता है ।
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लेखक :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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