Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 1 min read

एकाकी मन

सुबह से मन बड़ा ही एकाकी महसूस कर रहा था। सोचा कुछ नया किया जाय। कल रात से ही ठंड बहुत थी। सुबह होते होते कोहरे की सफेद घनी चादर ने मानो सब कुछ ढक लिया हो। रजाई से बाहर निकलते ही शरीर बहुत देर तक ठिठुरता रहा। कई बार सोचा और हिम्मत कर घर से निकलने का मन बनाया । अपनी गाड़ी के सारे शीशे ऊपर चढ़ाकर बाज़ार की तरफ कुछ खरीदने निकला । ट्रैफिक सिग्नल के पास एक छोटे से बच्चे को फुटपाथ पर नंगे पैर गरम चप्पल बेचते देखा तब लगा कि कुछ खरीदने कि हैसियत ही नहीं है।
” मन फिर एकाकी हो गया ”

-विवेक जोशी “जोश”

7 Likes · 15 Comments · 634 Views

You may also like these posts

नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
BJ88
BJ88
BJ88
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
Neeraj Agarwal
दोस्तो रौ साथ
दोस्तो रौ साथ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदरा कारे अब तो आ रे
बदरा कारे अब तो आ रे
अरशद रसूल बदायूंनी
✍️ कर्म लेखनी ✍️
✍️ कर्म लेखनी ✍️
राधेश्याम "रागी"
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईश्वर के नाम पत्र
ईश्वर के नाम पत्र
Indu Singh
कैसी
कैसी
manjula chauhan
बारहवीं मैं मेरे धोरे आर्ट थी
बारहवीं मैं मेरे धोरे आर्ट थी
Sonit Parjapati
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
Neeraj kumar Soni
2480.पूर्णिका
2480.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
Phool gufran
पानीपुरी (व्यंग्य)
पानीपुरी (व्यंग्य)
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
टूटता   है  यकीन  खुद  पर  से,
टूटता है यकीन खुद पर से,
Dr fauzia Naseem shad
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
Kanchan Khanna
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
कवि रमेशराज
भ्रस्टाचार की लूट
भ्रस्टाचार की लूट
अमित कुमार
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
Rekha Drolia
सरसी छन्द
सरसी छन्द
Dr.Pratibha Prakash
दोहा - चरित्र
दोहा - चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
राधे राधे बोल
राधे राधे बोल
Shailendra Aseem
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आल्ह छंद
आल्ह छंद
Godambari Negi
" हिन्दी"
Dr. Kishan tandon kranti
फर्श पे गिर के  बिखर पड़े हैं,
फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
हिमांशु Kulshrestha
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
Dushyant Kumar
Loading...