एकाकीपन
एकाकीपन
मैं और मेरा एकाकीपन
सूना सूना सा जीवन
बींध जाती अंतर्मन
नीरवता की वो चुभन
मौन का है हाहाकार
चुप्पी काँधे पर सवार
खामोशी का अंधकार
कौन बोले अबकी बार
श्वास में उच्छ्वास में
टिकी हर आस में
उर के विश्वास में
आओगे तुम पास में
मुखरित होगा सूनापन
छलक उठेंगे आद्र नयन
अधरों पर होगी कम्पन
मूक फिर भी है वचन
स्वरहीन प्रेम भरमाया
निस्पंद हो गई काया
मौन तू सुन न पाया
बोलना मुझे न आया
रेखांकन।रेखा