एकांत भाता है मुझे
एकांत भाता है मुझे
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शांति का परिवेश यह एकांत भाता है मुझे
पर वो फुल साउंड में डीजे सुनाता है मुझे
शर्म से यह चेहरा पीला पड़ा है देख लो
परिजनों के सामने कितना नचाता है मुझे
नींद के मारे मैं दिन में गिर गया हूँ फर्श पर
शोर रातों का बहुत पागल बनाता है मुझे
है दुआ सबके यहाँ हो जश्न का माहौल पर
यह गरीबी में दिखावा भी रुलाता है मुझे
बेवजह “आकाश” पैसों को उड़ाते हैं धनी
किन्तु बच्चों का कुपोषण काट खाता है मुझे
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 15 जून 2019