*एकांत नहीं मिलता*
एक पल अमन हो , वो एकांत नहीं मिलता।
हर कोई वजह में उलझा शांत नहीं मिलता।।
याद है मुझे बहुत पहले की,वो सुबह आ जाते थे
अब् इस दुनिया में नहीं ,वैसा प्रशांत नहीं मिलता ।।
हर बक़्त सोचता हूँ की कोई वैसा ही मिल जाता
मग़र ढूंढने की कोशिश की,वो वेदांतनहीं मिलता।।
भीख मांगता हूं सभी से,की फकीर ही समझ लो
सब चुप कर देते हैं ,की बैठ शांत नहीं मिलता ।।
एक बार गुजारिश है ‘साहब’ अमन फैला दीजिये
इस ज़मीन के बाद और कोई , विभ्रांत नहीं मिलता।।