एकमात्र सहारा
एक अकेला
खड़ा
किसके सहारे
भरोसे किसी के
आग उगलते
सूरज की तपन
तेज हवाओं के थपेड़े
आंधी तूफान में
झूले झूल लेता
जमीं की गहराई में
जमाये जड़ें
फल, फूल, बगर से लदपद
पत्तेदार टहनियां
पंथियों को छाया,
पंछियों का आश्रय,
तरुवर है,
भरते सरवर हैं,
सुबह से सांझ तक की पीं पीं
उजाले से पहले,
उठता घनघोर अंधेरा,
गोधूलि धूलि
निकलते पंछियों की कतार,
….
एक अकेला !
जो सबसे न्यारा !
है बहुत प्यारा !
भूख प्यास छांव का
एक मात्र सहारा !!
…….
©स्वरचित