** एकबार वफ़ा से अपनाकर तो देख लो **
जिंदगीभर हमसे जो खफ़ा खफ़ा रहा
एकबार वफ़ा से अपनाकर तो देख लो ।।
मिलके अश्कों को यूं बहालें
तन्हाई में
फिर रोना ना पड़े हमको ।।
आज कह दो
गिले शिकवे सब हमसे
वरना
शिकायत-ए-मुहब्बत न करना कभी ।।
?मधुप बैरागी