एकटा पत्र
आदरणीय श्रेष्ठ लोकनि ,समतुल्य मित्र सब आ प्रिय अनुज लोकनि केँ
प्रणाम ,नमस्कार आ स्नेह !
गूगल भलें मानि लैथ हमरा लोकनि केँ मित्र आ द दैथ फेसबुक मित्रक उपनाम मुदा हम सब गोटे केँ मित्रक परिसीमा मे कथमपि रखबाक दृष्टता नहि क सकैत छी तथापि स्वागत अछि एहि फेसबुक क रंगमंच पर !…..
आइ मित्रताक गप हैत !
देखू .मित्र बनला उपरांत संवादक आवश्यकता होइते छैक ! पहिने मित्र लोकनि समय निकाली एक दोसरा सं मिलइत छलाह ! विचारक आदान -प्रदान होइत छल ! यथायोग्य साधन अनुरूपेण सब गोटे खैलाइत छलाह ! कत्तो संगीत भ रहल अछि ,कत्तो गीत क धुन पर सब अपन -अपन गर्दनि हिला रहल छथि ! किछु गोटे लागल छथि अपन विचारक-आदान प्रदान में ! खेल -कूद ,सिनेमा ,राजनीति सभक नवीन -नवीन चर्चा सब दिन होइत छल ! इएह चर्चा सब हमर मित्रता कें प्रगाड़ बनबैत छल ! हमरा मे सहयोगक भावना अंगक सब कोण मे स्फुरित होइत रहित छल ! जखन कोनो सामाजिक कार्य भेल हमरा लोकनि कुदि पडैत छलहूँ ! आनंदित क्षण एक संगे बितवैत छलहूँ ! अखनो धरि ओहि क्षण कें बिसरि नहि सकलहूँ !
आब मित्रता अपन स्वरुप बदलय लागल ! आकाश मे हमर वैश्वयीक मित्रताक पताखा फहरा रहल अछि ! एक क्षण मे बना लिय मित्रक रेजिमेंट ! कपडा दोकान मे कपडा पसंद करू तखने कपडा खरीदू ! दरजी कें अपन स्टाइल कहि देल जाऊ ओ ‘सलमान’….. वा ..’ अमिताभ ‘…… वाला परिधान बना देत ! सब चीज पसंद करू, …….परंच बिना निर्णय ,……बिना बुझिने -सूझने हम अनगिनत मित्र एके क्लिक मे बना सकैत छी ! …..इ कोन गप्प भेल ?…… बनलहूँ मित्र आ विचारक आदान -प्रदान हेतु एकटा लक्ष्मण रेखा थोपी देल गेल ?
…”हमर टाइम लाइन एल० ओ० सी० भ गेल ! ……
एहि पर सर्जिकल स्ट्राइक केलहुं त ‘विश्व युध्य ‘भ जायत !
….. गप्प करबा क अछि वा विचारक आदान -प्रदान
करबाक अछि त व्हात्साप अथवा मस्सेंजेरक माध्यमे आउ !.”.
मित्रता मे कोनो ‘आउट ऑफ़ बाउंड एरिया ‘ नहि होइत छैक !
हाँ ….एकटा बात अवश्य हमरा सबकें ध्यान रखबाक चाही … जे …….”शिष्टाचार “,…………”मृदुलता “,……….”सौम्यता”…… कें अपना लेखनी मे भरइत रहू !
मित्रता मात्र फोटो पोस्ट केने सं नहि होइत छैक ! हमरालोकनि एहि युग मे जखन मित्रता विश्व स्तर पर पहुंचि गेल त हम किया ‘कोप भवन ‘ सं बहार नहि निकलव् ?…..
सस्नेह
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका