Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2023 · 1 min read

ऎसी दिवाली हो

शीर्षक-ऐसी दिवाली हो

घर आँगन रोशन हो जगमग,
ऐसी दिवाली हो।
बचे कोई न तिमिर कोना,
ऐसी दिवाली हो।।

हो दुनिया में खुशियों का मौसम,
व्यथा अमावस रात न हो।
रहे सदा वसन्त की बेला,
पतझड़ का कोई पात न हो।
कहीं न हो कोई नँगा भूखा,
ऐसी दिवाली हो।।

रमा कृपा बरसे जन-मानस,
धन-भण्डार भरे सबका।
देवों का आशीष मिले,
भला गजराज करें सबका।
दयाभाव हो मन सबके,
ऐसी दिवाली हो।।

-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच, उ०प्र० )

1 Like · 100 Views
Books from Shalini Mishra Tiwari
View all

You may also like these posts

हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
* अपना निलय मयखाना हुआ *
* अपना निलय मयखाना हुआ *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"अपनी माँ की कोख"
Dr. Kishan tandon kranti
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बाग़ी
बाग़ी
Shekhar Chandra Mitra
मोहक हरियाली
मोहक हरियाली
Surya Barman
तितली भी मैं
तितली भी मैं
Saraswati Bajpai
ओ *बहने* मेरी तो हंसती रवे..
ओ *बहने* मेरी तो हंसती रवे..
Vishal Prajapati
चाबी घर की हो या दिल की
चाबी घर की हो या दिल की
शेखर सिंह
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
कवि रमेशराज
तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
Ashwini sharma
जीना होता आज
जीना होता आज
महेश चन्द्र त्रिपाठी
गीत- निभाएँ साथ इतना बस...
गीत- निभाएँ साथ इतना बस...
आर.एस. 'प्रीतम'
*ढोलक (बाल कविता)*
*ढोलक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
पतझड़ सिखाता है, मोह त्यागना। बिना मोह के जाने देना वाकई, कि
पतझड़ सिखाता है, मोह त्यागना। बिना मोह के जाने देना वाकई, कि
पूर्वार्थ
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
Rajesh Kumar Arjun
भगवान शिव शंभू की स्तुति
भगवान शिव शंभू की स्तुति
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जगतजननी माँ दुर्गा
जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
ग़ज़ल-दुनिया में दुनियादारी का बोझ
ग़ज़ल-दुनिया में दुनियादारी का बोझ
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
!! युवा !!
!! युवा !!
Akash Yadav
2827. *पूर्णिका*
2827. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
पं अंजू पांडेय अश्रु
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
bharat gehlot
पितृ दिवस ( father's day)
पितृ दिवस ( father's day)
Suryakant Dwivedi
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
हो गई है भोर
हो गई है भोर
surenderpal vaidya
सृजन भाव का दिव्य अर्थ है (सजल)
सृजन भाव का दिव्य अर्थ है (सजल)
Rambali Mishra
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...