ऎसी दिवाली हो
शीर्षक-ऐसी दिवाली हो
घर आँगन रोशन हो जगमग,
ऐसी दिवाली हो।
बचे कोई न तिमिर कोना,
ऐसी दिवाली हो।।
हो दुनिया में खुशियों का मौसम,
व्यथा अमावस रात न हो।
रहे सदा वसन्त की बेला,
पतझड़ का कोई पात न हो।
कहीं न हो कोई नँगा भूखा,
ऐसी दिवाली हो।।
रमा कृपा बरसे जन-मानस,
धन-भण्डार भरे सबका।
देवों का आशीष मिले,
भला गजराज करें सबका।
दयाभाव हो मन सबके,
ऐसी दिवाली हो।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच, उ०प्र० )