*ऋष्यमूक पर्वत गुणकारी :(कुछ चौपाइयॉं)*
ऋष्यमूक पर्वत गुणकारी :(कुछ चौपाइयॉं)
________________________________
1
ऋष्यमूक पर्वत गुणकारी।
रहे यहॉं हनुमत बलधारी।।
किष्किंधा का राजा बाली।
सौ पर भारी था बलशाली।।
2
बाली से डरकर था आया ।
भ्राता यह सुग्रीव कहाया ।।
राम मित्रता करने आए ।
प्रथम भेंट हनुमत से पाए ।।
3
हनुमत ने सुग्रीव मिलाए ।
राम-लखन दोनों को भाए ।।
बाली को प्रभु ने जब मारा ।
मिला राज्य भ्राता को सारा ।।
4
वानर लगे खोज में सारे ।
किया यत्न लेकिन सब हारे।।
संपाती ने जगह बताई ।
रावण ने सिय जहॉं छुपाई।।
5
रावण की लंका में रहतीं ।
राम-राम सीता नित कहतीं।।
लॉंघे सौ योजन उड़ जाए ।
ऐसा वीर कहॉं से आए।।
6
हनुमत सहित सभी चुप पाए।
जामवंत को दृश्य न भाए।।
कहा न चुप बैठो बलशाली।
सुन हनुमत ने भुजा उठा ली ।।
7
कहा वेग से बढ़ जाऊॅंगा।
तुरत-फुरत वापस आऊॅंगा।।
सब बोले हनुमत आभारी।
पवनपुत्र पावन उपकारी।।
______________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451