– ऋषि वाल्मिकी –
-ऋषि वाल्मिकी-
प्रचेता ऋषि का पुत्र था वो माता चर्षणी का लाल,
रत्नाकर था नाम जिसका,
लालन पालन जंगल में हुआ,
इसलिए वो डाकू कहलाया,
जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर ,
जिसने अपना जीवन पथ बनाया,
जिसके फलस्वरूप जो पूजनीय कवि कहलाया,
वो है महर्षि वाल्मिकी,
संस्कृत भाषा में रामायण रच पाया,
आदि कवि के नाम से जो प्रसिद्ध हो पाया,
आदि काव्य रामायण के रचियता कहलाया,
वो है महर्षि वाल्मिकी,
साधना पूरी करके जब दीमको के घर (वाल्मिकी)से बाहर निकले,
तब वो वाल्मिकी कहलाया,
ज्योतिष विद्या एवं खगोल विधा का जो,
प्रकांड पंडित कहलाया,
ज्योतिषाचार्य भृगु ऋषि का जो भाई,
प्राचेतस नाम से विख्यात हो पाया,
मर्यादा , सत्य,प्रेम, भ्रात् त्व ,मित्रता एवम सेवक धर्म की,
परिभाषा का जिसने धर्मग्रंथ रचाया,
जो कालांतर में वाल्मिकी रामायण कहलाया,
कहता है भरत आपसे रखो अपने धर्मग्रंथों का ज्ञान,
मंदिर मस्जिद के चक्कर में गहलोत कही हो न जाए मानवता का अवसान,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
संपर्क सूत्र -7742016184-