ऋतु बसंत की जब है आती
ऋतु बसंत की जब है आती
कली कली दिल की खिल जाती
फूल खिले हैं रंग बिरंगे,
तोड़ रहीं हैं कलियाँ बंधन
यहाँ वहां सारी बगिया में,
करते फिरते भँवरे गुंजन
कहीं नाचता मोर कहीं पर,
गीत प्रेम के कोयल गाती
पंछी छोड़ घोंसला निकले,
दिल में छायी हुई उमंगें.
आसमान में नीली पीली,
नाच रही हैं खूब पतंगें.
आम लगे हैं अब बौराने,
अमियाँ सुधि मुंह पानी लाती