ऋतुराज – बसंत पंचमी
ऋतुराज – बसंत पंचमी
कला की देवी, हंस वाहिनी, वीणा मधुर बजाए
मौसम हुआ है, आज सुहाना, मन मेरा र्हषाए ।
खेत में सरसों, पीली-पीली, तितली पंख फैलाए
गेहूं, जौ की बाली से अब, महक खुशी की आए ।
भर-भर भंवरा घूम-घूम कर, फूल से रस ले जाए
पीला वस्त्र पहन के यौवन, प्यार की उमंग जगाए ।
इक-इक सोंधी मिट्टी का कण, चमकीला बन जाए
मौसम हो गया रंग- बिरगां, घटा मेघ ले आए ।
रंग-बिरंगी कटी पतंग फिर, हवा में उड़- उड़ जाए
बाग में कोयल कुहू-कुहू, मधुर गीत ये गाए ।
ऋतु राज आया है आज से, गुणगान इसी के गाए
प्यार और खुशियाँ, बाँट-बाँट कर, गीत खुशी के गाए।
मनमोहक पावन बेला में, दिल से दिल मिल जाए
बसंत आगमन के अवसर पर, प्यार से दिल ये गाए।
पुलकित होता मेरा मन जब, पावन महोत्सव आए
माँ शारदे के चरणों में, शीश है अपना नवाए ।