ऋतुराज बसंत के आगमन पर कुंडलियां
ऋतुराज वसंत के आगमन पर कुंडलियां
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आम्र बाग से आ रही, मीठी कोयल कूक।
विरहन के हृद वेदना,पिया मिलन की हूक।।
पिया मिलन की हूक,अब कैसे मिलन होगा,
पिया गए है परदेश,उनका कैसे आना होगा।
कह रस्तोगी कविराय,हृदय को थोड़ा थाम,
थोड़ी सी प्रतिक्षा करो,मिलेगे रसीले आम्र।।
डाल डाल कलियां खिली,खेतो सरसो फूल।
लुभा रही हृदय प्रांत को,बौर आम्र में झूल।।
बौर आम्र में झूल,बागों में आ गई है बहार,
माली भी प्रसन्न हुए,देखकर वे ऐसी बहार।
कह रस्तोगी कविराय,बदली मौसम की चाल,
पक्षी ऐसे झूम रहे,जैसे आम्र की हर डाल।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम