ऊषा माँ : जाने क्यों ये सफर बहुत छोटा था
एक रिश्ता जो जन्म से नहीं सात फेरो से बना है
एक ऐसी माँ जिसने मुझे अपना बेटा दिया है
यूँ तो शिकवे थे बहुत माँ तुमसे, सुनाए तुम्हें कितने पुराने किससे
शायद मेरा बचपना था या मुश्किल एक दूसरे को अपनाना था
पर कीमत का एहसास तुम्हारी तब हुआ जब तुम्हें तकलीफ में पाया
हर लड़ाई कुबूल है, बस मिलता रहे तुम्हारा साया
तुम्हारे बेटे का ख़याल मैं रख नहीं पाऊँगी
प्यार तो दूँगी पर माँ कहाँ से लाऊँगी
मेरी बेटी को मेरी ये माँ चाहिए
इस बेटी को भी मेरी ये माँ चाहिए
ईश्वर तुमसे ये वरदान चाहिए
साथ मे सदा पूरा परिवार चाहिए
जोड़े रखना परिवार के मोती, रिश्तो की डोर से
टूटने ना देना मेरी माला किसी ओर से