ऊर्जा का अभिनव रूप…
न तो तुम्हें परेशान
न ही तंग देख सकती हूं
तुम परेशान हुए तो
इस चरा चर में सब बेरंग
सा हो जाएगा, शब्दों का
सारा का सारा माधुर्य खो जाएगा
तुम परेशान न होना
तंग तो कभी नही
तुम तो उदारमना हो
तुम तो सहृदय हो
तुम कैसे हो सकते हो
परेशान या तंग
सहृदयता का अभाव
कैसे हो सकता है, तुम में
तंग तो गलियां होती है
तंग तो डबरा होता है
तंग भिक्षा पात्र होता है
तंग वो दिल होता है
जो प्रेम, दया,करुणा नही समझता
तुम तो विशाल हो
आसमान की तरह
सागर की तरह
मानवीय संवेदना से परिपूर्ण
तुम तो अनमोल हो
जिस का कोई चाह कर भी
मोल न चुका सके
ऊर्जा का अभिनव रूप…
… सिद्धार्थ