Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2017 · 3 min read

“ऊधौ कहियो जाय“ तेवरी-शतक में विरोधरस का प्रवाह +डॉ. अभिनेष शर्मा

“ऊधौ कहियो जाय“ तेवरी-शतक में विरोधरस का प्रवाह
+डॉ. अभिनेष शर्मा
———————————————————
गोपियों को आमजन का प्रतिनिधि और उद्धव को कृष्णरूप में गद्दी पर बैठे कंस जैसे हर शासक का संदेशवाहक मानकर पुराने प्रसंग को नये सन्दर्भों में पिरोकर रची गयी तेवरीकार रमेशराज नयी कृति “ऊधौ कहियो जाय“ तेवरी-शतक में पाठकों के समक्ष है |
शतकों की परम्परा में प्रस्तुत यह तेवरी-शतक पठनीय ही नहीं, इस कारण भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उद्धव जो कृष्ण के दूत बनकर गोपियों के समक्ष आते हैं तो गोपियाँ उनसे कोई विरह या प्रेम-प्रसंग नहीं रखतीं बल्कि उनकी पीड़ा तो उस सिस्टम की बखिया उधेड़ती है जो जाने-अनजाने आमजन का सुख-चैन लीलने को आतुर है |
लोकतंत्र में अव्यवस्था-अनीति का विरोध करने का अधिकार हर व्यक्ति को मिला हुआ है | जनता भले ही दरिद्र और असहाय हो किन्तु आक्रोश से युक्त उसके पास नुकीले तीरों के भंडार हैं | इन्हीं नुकीले तीरों का इस्तेमाल करते हुए वे उद्धव से कहती हैं –
हम तो रहें उदास पर कैसे हैं घनश्याम
यहाँ भूख का वास पर कैसे हैं घनश्याम, बैठ गद्दी पर खुश हैं ?
राजा कभी इतना कष्ट नहीं उठाता कि जनता के दुःख-दर्दों का आकलन खुद जनता के बीच आकर करे | इस कार्य के लिए वह जनता के बीच केवल अपने प्रतिनिधि को भेजता है | राजा की इस असम्वेदनशीलता से जनता भी अपरिचित नहीं | तभी तो वह उद्धव के समक्ष इस सत्य को उजागर करती है-
जनपथ तक आये नहीं राजपथों के लोग
है हमको आभास पर कैसे हैं घनश्याम, बैठ गद्दी पर खुश हैं ?
जनता द्वारा प्रिय नेता के रूप में चुने सांसद, विधायक के मंत्री बन जाने पर उसी जनता पर अत्याचार और वार करने की नीति जगजाहिर है | ऐसे कुशासकों से पीड़ित व्यथित गोपियों के रूप में जनता का उद्धव को दर्ज कराया गया बयान, जन-दमन का जीवंत व्याख्यान बन जाता है –
इस शोषण की मार से कब होंगे आज़ाद
ऊधौ अत्याचार से कब होंगे आजाद, कटेगा कैसे जीवन ?
उद्धव जब गोपियों को अपनी सरकार की छद्म उपलब्धियों का बखान करने लगते हैं तो गोपियाँ आक्रोशित होकर समवेत स्वर में सरकारी नीति का विरोध करती हैं-
राजनीति के आज हो तुम तो एक दलाल
कोरी देना सांत्वना ऊधौ जानो खूब, बड़े छलिया हो ऊधौ !
तेवरीकार रमेशराज की इस शतकीय रचना में नूतन रचनाधर्मिता के सभी काव्यात्मक कौशलयुक्त गुण मौजूद हैं | विरोधरस का पूर्ण प्रवाह है | इसी रस में कथन का अनूठा, सारगर्भित अनुपम अर्थ-विस्तार है | भावनाओं का आक्रोशमय मुखर ज्वार है | तेवरी-शतक का हर तेवर व्यंग्य से भरा है |
पुस्तक में जनकछंद, हाइकु, वर्णिकछंद, सर्पकुण्डली राज छंद और दुमदार दोहों के साथ प्रयुक्त हुए तेवर इस तथ्य को स्पष्ट रूप से उजागर करते है कि तेवरीकार की हर छंद पर पकड़ मजबूत है | संग्रह में विज्ञान के प्रतीकों का सहारा लेकर रची गयीं तेवरियाँ मौलिक कहन के कारण अन्य सामान्य रचनाकारों से रमेशराज को अलग खड़ा करती हैं | यथा-
अंकगणित-सी जिंदगी बीजगणित-सा प्यार
मन के भीतर सैकड़ों प्रश्नों की बौछार, हार ही लिखी भाग में |
अथवा-
हम ‘बॉयल’ के नियम से झेल रहे हैं दाब
दुःख में सुख का आयतन घट जाता हर बार |
इस तेवरी-शतक में उद्धव रुपी सत्ता के दलाल की पूरी बात आमजन की प्रतीक गोपियाँ पूरे धैर्य से सुनती हैं और अपनी ओर से यथासम्भव उत्तर भी देती हैं | किन्तु सत्ताई-सोच में किंचित परिवर्तन न देख अंततः यही कह कर संतोष करती दिखलायी देती हैं-
इन प्राणों के रोज, लेता चुम्बन दर्द अब
आलिंगन हैं शेष, ऊधौ हम किससे कहें ?
तेवरियों में की मुखर एक शतक की पीर
अभी कथन हैं शेष, ऊधौ हम किससे कहें ?
अस्तु ! आशा है एक नये तेवरी संग्रह में इन शेष कथनों को पुनः अभिव्यक्ति मिलेगी |
———————————————————————
डॉ.अभिनेष शर्मा, देव हॉस्पिटल, खिरनी गेट , अलीगढ़
मोबा.-9837503132

Language: Hindi
Tag: लेख
570 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
14- वसुधैव कुटुम्ब की, गरिमा बढाइये
14- वसुधैव कुटुम्ब की, गरिमा बढाइये
Ajay Kumar Vimal
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
Maybe the reason I'm no longer interested in being in love i
Maybe the reason I'm no longer interested in being in love i
पूर्वार्थ
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कान्हा भजन
कान्हा भजन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
Sanjay ' शून्य'
*हूँ कौन मैं*
*हूँ कौन मैं*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
"अदा"
Dr. Kishan tandon kranti
" लहर लहर लहराई तिरंगा "
Chunnu Lal Gupta
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
व्हाट्सएप के दोस्त
व्हाट्सएप के दोस्त
DrLakshman Jha Parimal
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
Ram Krishan Rastogi
परिवार
परिवार
डॉ० रोहित कौशिक
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
Harminder Kaur
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
लक्ष्मी सिंह
दिल पे पत्थर ना रखो
दिल पे पत्थर ना रखो
shabina. Naaz
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
हिंदी भारत की पहचान
हिंदी भारत की पहचान
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आज भी
आज भी
Dr fauzia Naseem shad
संग चले जीवन की राह पर हम
संग चले जीवन की राह पर हम
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
3106.*पूर्णिका*
3106.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...