ऊँगली पकड़ के
ऊँगली पकड़के तूने चलना सिखलाया
कांटों भरी इस राह में इसलिए दौड़ पाया
शुक्रगुजार उस ईश्वर का जिसने तुझसे मिलाया
जिंदगी की इस तपती धूप में मिला मुझे पिता का साया।।
ऊँगली पकड़के तूने चलना सिखलाया
कांटों भरी इस राह में इसलिए दौड़ पाया
शुक्रगुजार उस ईश्वर का जिसने तुझसे मिलाया
जिंदगी की इस तपती धूप में मिला मुझे पिता का साया।।