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27 Jun 2020 · 1 min read

उड़ गया ओ परिंदे कहाँ…..

ढूँढ रहीं नजरें यहाँ वहाँ,
उड़ गया ओ परिंदे कहाँ,
अब भी मन में बसी सूरत,
पूजता हूँ मानकर मूरत,
गुजर गए हैं दिन बरसो,
लगता बात हुई हो परसो,
गली गली देखूँ शहर शहर,
यादों में बीते पहर पहर,
पिंजरा हुआ खाली खाली,
बाग बिना सूना हैं माली,

बैठे हैं निगाह लगा, करने को दीदार ।
पल पल मुश्किलें बढ़ती, कौन लगाए पार ।।

नभ को निहारे नजरें मेरी,
अब भी नैन राह तके तेरी,
आजा परिंदे लौट के घर,
सबके जीवन में खुशियाँ भर,

बंधन लगती बेड़ियां, तन में चुभते शूल ।
सोने का हो पिंजरा , बंधन नहीं उसूल ।।
——जेपीएल

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 205 Views
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