उड़ें चलो
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चलो उड़ें नभ में।
नभ के गौरव में।
उस गौरव का रसपान करें।
सूर्य,चंद्र,तारों को छूकर
अपना आ सम्मान करें।
व्योम ब्याह कर ले आएंगे।
स्याह अन्तरिक्ष का धो आएंगे।
भर आएंगे चीं,चीं चूँ,चूँ
अपना दु:ख-सुख कह आएंगे।
चलो उड़ो नभ में साथी आ।
रण में योद्धा की भांति आ।
अंतराल पर वह अमृत है।
देखो ईश्वर वहाँ जीवित है।
मानव मन में मानवता भर।
पवन सुगंधित कर आएंगे।
ब्रह्मा अपना पाप हरे सब।
हवन द्विगुणित कर आएंगे।
आ साथी उड़ नभ नवीन कर।
अपने पंखों को प्रवीण कर।
उड़ना ही तो यह जीवन है।
उड़ना,जीवन को ही नमन है।
चलो उड़ें नभ के गौरव में।
चलो उड़ें नभ के सौरभ में।
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