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25 Aug 2018 · 1 min read

उड़ान

पागलपन की हद तक सपनों को चाहना।
कुछ नया कर दिखा,दिल यह कह रहा।
क्षितिज तक उड़ान है भरना,
सपनो को साकार है करना।

चाहत ऊँची उड़ान की ,
मुश्किल डगर है आसा नहीं।
मेहनत से नहीं है डरना,
ख्वाब को पूरा है करना।

होंसला बुलन्द कर,
गिरने से नहीं है डर।
उठना है थकना नहीं,
उड़ान को क्षितिज तक है पहुँचाना।

ईमानदारी से किया प्रयास,
खुद पर किया गया विश्वास।
कभी व्यर्थ नहीं है जाता,
इक दिन जरूर है जिताता।

ख्वाबों को महसूस कर ,मंज़िल मिलेगी तुझे,
पंख सभी है फैलाते,
हुनर उड़ने का किसी- किसी को ही है आता,
ख्वाब तो देखते है कई,
हक्कीकत के स्वरूप मे कोई-कोई है डालता।

भारती विकास(प्रीति)

Language: Hindi
382 Views

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