उड़ती रहे पतंग
सूर्य उत्तरायण चले, मन में जगी उमंग !!
भरें रंग आकाश में, .उड़ती रहे पतंग !!
परिवर्तन का पर्व है, आशा भरी उमंग !
आई है उत्तरायणी ,..उड़ती रहे पतंग !!
आई है संक्रांति फिर, बाजे ढोल मृदंग !
आसमान में झूमकर ,उड़ती रहे पतंग !!
जीवन के आकाश में, ..रहें हमेशा संग !
हम दोनों के प्रीति की, उड़ती रहे पतंग !!
रमेश शर्मा.