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14 May 2022 · 8 min read

उस मोड़ पर

सालों बाद मोहन और उसका परिवार US से लौट रहा था । मोहन और स्वाति और उनके दो बच्चे जय और जयश्री ।
मोहन के भाई की शादी थी इस लिए ही वो इंडिया आए थे ।
पूरा परिवार खुश था बातें हसी मजाक और गप्प शप्प के साथ आगे बढ़ रहे थे । टैक्सी रुकवाई समान रखा और निकल पड़े घर की ओर ।

घर की ओर टैक्सी अपनी मंजिल के अंतिम पड़ाव पर थी और वह मोड़ आया । न चाहते हुए भी मोहन अपनी नजरों को उस और जाने से रोक नहीं पाया ।
उस मोड़ और उस मोड़ पर बना बस स्टैंड आज भी वैसा ही था जैसा 10 साल पहले था । वही स्टील की चेयर और उस पर छाया देता आम का बड़ा सा पेड़ ।
मोहन के मन में वक्त के साथ दब गए वो यादों के पन्ने एक बार फिर खुल गए थे । जीवन के वो पन्ने जिसमे सब कुछ था प्यार , इंतजार , हसी , खुशी , उदासी , एतबार ,इकरार , लड़ना , झगड़ना , रूठना , मनाना , मिलना , बिछड़ना ।

मोहन एकटक उस ओर देखता रहा मानो उसकी आंखे कुछ खोज रही हो , कुछ देखना चाहती हो मगर जो वक्त बीत गया वह वापस कहां आता हैं । जैसे जैसे वह मोड़ पीछे रह रहा था मोहन की आंखों में हल्की नमी उतर आई ।
मोहन ने सामने देखा और अपनी आंखे पोंछने लगा । इस दौरान स्वाति भी मोहन को देख रही थी यह सब देख उसके चेहरे पर एक उदासी , और सहानुभूति के भाव दिखने लगे थे उसने मोहन का हाथ पकड़ कर सहलाने लगी और अपना सिर मोहन के कंधे पर रख दिया ।

हेलो दोस्तो 🤗
मैं मोहन , वही मोहन जिसकी यादें उस मोड़ से जुड़ी हैं
मैने जीवन हर रिश्ते बड़े अच्छे से निभाया एक अच्छा बेटा ,एक सच्चा दोस्त मगर प्यार के मामले में पिछड़ गया या कहूं हार गया ऐसा नहीं हैं की मैने कोशिश नहीं की मगर प्यार के रास्ते आसान कहां होते हैं ।

⏰ बजा और मैं उठा नहा – धोकर , नाश्ता करके बैग उठा में चल पड़ा कॉलेज ।
कॉलेज के पहले दिन मैं लेट नहीं होना चाहता था और मैं निकल पड़ा बस स्टैड की ओर । बस स्टैड ज्यादा दूर भी नहीं था बस दो गलियां छोड़कर ।

कुछ देर बाद मैं वहीं था
उसी मोड़ और उसी चेयर पर जहां कहानी शुरू हुई थी ।
कुछ देर अकेले बैठने के बाद मैने देखा की सामने से कोई लड़की चली आ रही थी यूनिफॉर्न भी मुझसे मिलता जुलती ही पहन रखी था ।
खूबसूरत और मासूम से चेहरे में नजर नही हटा पा रहा था जैसे जैसे वो पास आती जा रही थी मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी । मैं एकटक देखता रहा और वो आई पास की चेयर पर बैठ गई तिरछी नजर मेरी बार बार उसपे ही जाकर रुक रही थी । बात करना चाहता था उसके बारे में जानने की प्रबल इच्छा थी मगर यह सब कुछ इतना आसान कहां होता हैं ।
कुछ देर बाद बस आई हम बैठे ओर चल दिए ।

बस और स्कूल में भी मेरी नज़रे उसकी तलाश करती रही थी और उसे तिरछी नजर से देखता रहा । यह आंख मिचौली मुझे बड़ी पसंद आ रही थी ।
यह सिलसिला शुरू हो गया वही एकटक देखना उसके देखने पर नजरें चुरा लेना , बस स्टैड पर हर रोज उसका इंतजार , क्लास में भी पढ़ाई से ज्यादा मेरा ध्यान उसकी ओर देखने में बिताना ।
यह अनुभव नया था यह जीवन का मोड़ नया था , यह रास्ता नया था ।
धीरे धीरे हम कॉलेज में अच्छे दोस्त बन गए उसका नाम था मानसी ।
मानसी यही था वह नाम जिसे मैं सपनों में भी नहीं भूलता था । हर सुबह 10 MIN पहले बस स्टैड पहुंचना और उसका इंतजार करना मेरी आदत बन गई थी शायद उसके लिए इंतजार करना मुझे बहुत पसंद था ।
बस में उसके बैठने के लिए शीट खोजना ,
अपना टिफिन उसके साथ शेयर करना ,
रात भर जागकर उसके लिए नोट्स बनाना
उसके कॉलेज ना जाने पर मेरा कॉलेज बंक करना
कॉलेज स्पोर्ट्स में उसके चोट लग जाने पर मेरा उदास हो जाना हर दिन उसको कॉल करना की कैसी हैं वो ।

अजीब था यह सब
पहले नही हुआ था यह
क्या था यह ?
जब खुद से ज्यादा कोई और भाने लगे ।
हर पल में उसकी याद सताने लगे ।
दूर होकर भी वह दिल के पास हो ।
उससे जुड़ा मेरा हर एहसास हो ।
जुबान पर बस उसका नाम हो ।
उससे जुड़ी जब हर बात हो ।
तो यह और कुछ नही बस प्यार हैं , प्यार हैं

मुझे मानसी प्यार हो गया था और उसे भी था या फिर नहीं था कह नहीं सकता ।
एकतरफा प्यार क्या प्यार नहीं होता ।
वैसे मैं बड़ा बातूनी हूं मगर यह मामला कुछ संजीदा था और पेचीदा भी इसलिए मेरी जुबान चुप थी । इसमें प्यार से साथ – साथ डर और संशय की बेडिया भी तो लगी थी ।

एकतरफा प्यार में संशय होना स्वाभाविक हैं की वह मुझसे प्यार करती हैं या नही । वह मेरे साथ उस मोड़ पर और कॉलेज में बहुत समय साथ में बिताती थी हम साथ में कॉलेज जाते , बातें करते , हंसते – हंसाते ,स्टडी करते , मैं उसकी फिक्र करता वो मेरी मगर यह फिक्र दोस्ती थी या प्यार कह नहीं सकता ।

अपनी भावनाओं को उसके सामने रखने से डर भी लगता था की उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी वह कैसे उसका उत्तर देगी ।
कन्ही मुझे छोड़कर तो नही चली जायेगी , मुझसे बात करना तो बंद नही कर देगी , मुझसे दोस्ती तोड़ तो नही देगी ।
अजीब स्थिति थी क्या करूं क्या न करूं । बड़ी दुविधा थी ।

एक दिन मानसी काफी उदास थी उसके चेहरे की वह चमक वह हसी जिसे देखने के लिए में हमेशा मौके ढूंढता रहता था। उसकी वह स्माइल 😊 जो मेरे दिल को सुकून देती थी वह आज गायब थी ।

मैंने पूछा उससे क्या हुआ मानसी, क्या हुआ , तुम आज बहुत उदास हो ।
उतना पूछते ही वह मुझसे लिपट गई । मुझे गले लगा कर फूट फूट कर रोने लगी ।
एक बार तो में समझ नही पाया मगर मैंने खुद को संभाला और उसका सिर सहलाते हुए पूछा क्या हुआ तुम्हे ? तुम रो क्यों रही हो ?

उसने कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मोहन मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती I LOVE YOU MOHAN 💕

कितना खूबसूरत एहसास हैं जब आप जिससे चाहते हैं वह आपसे कहे ये तीन मैजिकल वर्ड्स ।
मैं इन बीते कुछ पलों को कई बार जीना चाहता था मगर जिदंगी में रिवाइंड का कॉसेप्ट कहां होता हैं ।

प्यार एक खूबसूरत एहसास हैं
यह न बुझने वाली प्यास हैं
इसमें पतझड़ सी बेरुखी
वही इसमें सावन सी बहार हैं

कुछ देर मैं रुका रहा फिर बोला I LOVE YOU 💕 MANSI
मैं तुम्हे कब से बताना चाहता था मगर बिछड़ने के डर कभी कह नहीं पाया और मैने अपने दोनो हाथो से मानसी को बाहों में भर लिया ।

कितना आसानी से यह सब हो गया । लगा मानों सालों से जिस पल का इंतजार था वह आ गया था और मैं जिसे पहाड़ समझ रहा था वह तो केवल एक पत्थर निकला । मगर जिंदगी में प्यार की राह इतनी आसान कहां होती हैं ।

लोग झूठ थोड़ी ना बोलते हैं की यह प्यार आग का दरिया हैं और इसमें डूबकर इसके पार जाना हैं।

मेरा इजहार करने के बाद भी मानसी का रोना कम नहीं हुआ वह अब भी मेरे कंधे पर सिर रख रोए जा रही थी
मैंने पूछा मानसी अब क्या प्रोबलन हैं मैं तुमसे प्यार करता हूं तुम मुझसे प्यार करती हो अब क्यों रोए जा रही हो ।

मानसी ने बताया की पापा ने मेरी शादी तय कर दी हैं अगले महीने मेरी शादी हैं । मैं तुमसे हमेशा के लिए दूर जा रही हूं ।

मेरे पैरो तले जमीन खिसक सी गई थी मेरी आंखों में कुछ नमी सी उतर आई थी मैंने कोशिश की मगर उन आंसुओ को मैं रोक नही पाया । हर गिरता आंसू मेरे प्यार के दिए की लौ को बुझा रहा था ।

काफी देर एक दूसरे की बाहों में आंसू बहाने के बाद मानसी हटी और बोली वो आखरी शब्द जो आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं GOOD BYE MOHAN

उसके वो आखरी शब्द मेरी जिंदगी में दुख , उदासी , तन्हाई , अकेलापन सब लेकर आए थे ।
मेरे प्यार का महल जिसे मैंने सालों से सहेज कर रखा था उसके शब्दों के प्रहार से ढह गया था ।
जैसे जैसे उसके कदम मुझसे दूर जा रहे थे मैं गम के बादलों से घिरता का रहा था ।
काफी देर मैं उसी मोड़ पर निशब्द और मायूस होकर खड़ा रहा मुझे समझ में नही आ रहा था की जिंदगी के इस प्रश्न का उत्तर कैसे दिया जाए या इसमें क्या प्रतिक्रिया दी जाए ।

उसके साथ बिता हर पल मानों एक फिल्म की तरह मेरी आंखो के सामने चलने लगा था । और मैं होश खो कर उसमे ही खोकर घंटो वही बैठा रहा ।

शाम हुई पापा आए मुझे ढूढते हुए आए मुझसे पूछा क्या हुआ । मैं कुछ बता नहीं पाया ।
काफी देर प्रयास करने के बाद वो मुझे घर ले गए ।

घर पहुंच कर मैंने खुद को कमरे में बंद कर लिया , कॉलेज जाना भी बंद कर दिया । दिनभर उसके बिछड़ने का गम मुझमें खून की तरह दौड़ता रहता ।

खुद को कोस रहा था मैं की मैने पहले इजहार क्यों नहीं किया , क्यों मैने उसे पहले ही अपने दिल की नही बताई अगर बताई होती तो शायद आज तस्वीर कुछ और होती ।

दिल छुपे प्यार को बाहर आने दो
दिल में छुपी उस बात को लबों पर छाने दो
वक्त बीत जायेगा क्योंकि यह तो रुकेगा नहीं
जब साथ हैं वो आपके तभी दिल से दिल मिल जाने दो

उसकी शादी हो गई मैं नहीं गया। मैं नही देख सकता था की वह जिसके साथ मैंने अपने सपने सजाए थे , जिसके साथ सपनों में ही सही मगर मैं शादी सातों वादे निभाने का वादा कर चुका था या जो तस्वीर मैने उसके साथ अपनी देखी थी उसमे मेरी जगह कोई और था ।

कुछ दिन बाद मम्मी पापा को भी इसकी जानकारी हो गई थी मेरे चहरे पर उदासी , मायूसी , गम की चादर वो हर रोज देखते थे । मेरे दोस्तो से बात पता चलने पर उन्होंने मुझे काफी समझाया । वैसे कुछ नया नहीं था वही जो मैं हर रोज खुद को इससे उबारने के लिए कहता था मगर प्यार के घाव आसानी से कहां मिटते हैं ।

छह महीने बीत गए धीरे–धीरे उसकी प्यार की यादों पर भी वक्त की रेत जमने लगी थी । धीरे धीरे मैंने उसकी यादों की जगह अपनी किताबों को देना शुरू कर दिया था । कॉलेज से पास होकर मुझे US में जॉब मिल गया । मैं US चला गया । वही मेरी स्वाति से मुलाकात हुई । हम साथ ही में जॉब करते थे धीरे धीरे नजदीकियां बढ़ी और फिर शादी ।

मेने स्वाति को सब कुछ बताया था मानसी के बारे में और वो समझ भी गई थी वह मेरा पहला प्यार नहीं थी शायद इसलिए हमारे सालों के रिश्ते में मुझे कभी याद नही आता जब मैने उसे I LOVE YOU बोला हो मगर उसने कभी इसकी शिकायत मुझसे नहीं की ।

शाम हुई और उस मोड़ पर मैं और स्वाति वही उसी स्टील चेयर पर उसी पेड़ के नीचे थे जहां कभी मानसी और मैं हुआ करते थे , एक दूसरे पर अपना सिर टिकाए बैठे थे
आज मैने वह गलती नहीं की जो सालों पहले की थी
मैने कहां I LOVE YOU स्वाति । मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ।
स्वाति का चेहरा खिल उठा उसने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और मेरी ओर देख कर अपने चेहरे पर एक सुंदर सी मुस्कान बिखेर दी जो मानो सालो से कन्हीं दबी हुई थी ।

Language: Hindi
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