“”उस पल से इस पल तक””
छुपते छुपाते बचते बचाते, प्यार तुझे हम करने लगे हैं।
नशा इश्क ए ऐसा चढ़ा है, रात रात भर जगने लगे हैं।
भोर के पंछी सारे जगते, अपने अपने कर्म में लगते।
छोड़ बिछोना हम भी यारा, चौखट से तेरी गुजरने लगे हैं।।
झरोखे में तुम आती, झलक तुम्हारी हमको दिख जाती।
संगिनी बनो तुम ही मेरी अरमां दिल में सजने लगे हैं।।
सिलसिला यह खूब चला, प्यार तुम्हारे दिल में भी पला।
मेरे ही बनो तुम साजन , आंखों ही आंखों से कहने लगे हैं।।
नसीब से एकांत मिला, सुना समझा एक दूजे को हमने।
उस पल से इस पल तक, अनुनय साथ साथ चलने लगे हैं।।
यही प्यार है, जिसका न कोई पार है, आप भी क्या तैयार हैं।
हम दोनों तो इसकी गहराई में उतरने लगे हैं।।
राजेश व्यास अनुनय