उस निरोगी का रोग
आपने कहा रोज नहाइये,
उसने रोज नहाना शुरू कर दिया,
आपने फ़रमाया साबुन लगाइये,
ब्यूटीफुल उसने लक्स प्रयोग किया,
आपको चाहिए था वह आकर्षक,
बालों में डाई लगाकर वह बन गया ऐसा भी,
और छुप गई इससे उसकी उम्र भी।
शेष रही उसकी मूंछे जवान दिखने को,
एक दिन उसने ये मूंछे भी कटवा डाली,
चाहिए थी आपको उसमें चमक,
शुरू कर दिया उसने इसके लिए,
रोज चेहरे पर लगाना उसने क्रीम,
बेहतरीन, उम्दा और खुशबूदार।
मनाने को होली आपके साथ वह,
खरीद लाया रंग सतरंगी बाजार से,
खरीद लिये उसने फैशनी कपड़े भी,
बनाने को दुनिया को अपना दीवाना,
लुभाने के लिए आपको सच में,
बन गया वह गोविंदा की तरह।
अब आपने कहा उसको,
दिखाने को डॉक्टर को उसको,
लेकिन बताया नहीं डॉक्टर ने,
उसमें किसी बीमारी के लक्षण,
फिर भी नहीं आती उसको नींद,
देर रात तक जागता रहता है वह,
रहता है गुमसुम, उदास वह हरवक्त,
अब बताइये आप ही उस निरोगी का रोग।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847