उसे हाल दिल का बताया नही है
गजल- उसे हाल दिल का बताया नही है
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गजल
काफ़िया-आया
रदीफ़- नहीं है।
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
उसे हाल दिल का बताया नहीं है।
कोई^ जख्म दिल का दिखाया नही है।
वही देखता हूँ वो^ तसवीर तेरी,
अभी यार तुमको भुलाया नहीं है।
शराबी नहीं हूँ गमों की वजह से,
मुझे आज फिर होश आया नही है।
अकेले लिखे जो ग़मो गीत हमने,
उन्हें तो अभी गुनगुनाया नही है।
निभा साथ दूंगी सदा उम्र भर मैं,
ये^ कहके भी^ उसने निभाया नही है।
गया जख्म-ए-दिल ले उसी के यहाँ मैं,
उसने भी मुझको बिठाया नही है ।
वो बेबात ही रूठ बैठे तो अभिनव
उन्हें मैंने जाके मनाया नही है ।
स्वरचित:-
अभिनव मिश्र अदम्य✍️✍️
शाहजहांपुर, उ.प्र.