उसे पिता कहते हैं।
जिसका रोम-रोम निःस्वार्थ होता है,
उसे पिता कहते हैं।
जिसकी आँखों में अभिलाषाओं का सितारा होता है,
उसे पिता कहते हैं।
जिसकी मुस्कुराहट में आँसुओं का बांध छिपा होता है
उसे पिता कहते हैं।
जिसका अस्तित्व परिवार का सहारा होता है,
उसे पिता कहते हैं।
सिद्धांत शर्मा