“उसे पाने की ख़ातिर…..”
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उसे पाने की ख़ातिर क्या नहीं किया मैंने
दिन को देखा रातों में ख्वाब सजाया मैंने
आँखों में बस उनका ही तसव्वुर फिरा
तस्वीर को उनकी दिल में बसाया मैंने
नसीब में उनका प्यार लिखा था नहीं
उनकी यादों में सुकूँ अपना गवाँया मैंने
दिल के हाथों मजबूर थे अपने इस कदर
सिवा उसके हर शै को भुलाया मैंने
काश उन्हें भी फ़िक्र होती हमारी राणाजी
उनकी फ़िक्र में दिल को हर बार जलाया मैंने
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)