Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

“उसे पाने की ख़ातिर…..”

उसे पाने की ख़ातिर क्या नहीं किया मैंने
दिन को देखा रातों में ख्वाब सजाया मैंने

आँखों में बस उनका ही तसव्वुर फिरा
तस्वीर को उनकी दिल में बसाया मैंने

नसीब में उनका प्यार लिखा था नहीं
उनकी यादों में सुकूँ अपना गवाँया मैंने

दिल के हाथों मजबूर थे अपने इस कदर
सिवा उसके हर शै को भुलाया मैंने

काश उन्हें भी फ़िक्र होती हमारी राणाजी
उनकी फ़िक्र में दिल को हर बार जलाया मैंने

©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
44 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मौसम  सुंदर   पावन  है, इस सावन का अब क्या कहना।
मौसम सुंदर पावन है, इस सावन का अब क्या कहना।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
*बेवफ़ा से इश्क़*
*बेवफ़ा से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
Shweta Soni
प्रेम
प्रेम
Mamta Rani
हिय जुराने वाली मिताई पाना सुख का सागर पा जाना है!
हिय जुराने वाली मिताई पाना सुख का सागर पा जाना है!
Dr MusafiR BaithA
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरा भारत देश
मेरा भारत देश
Shriyansh Gupta
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
डी. के. निवातिया
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
Sonam Puneet Dubey
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
*समीक्षकों का चक्कर (हास्य व्यंग्य)*
*समीक्षकों का चक्कर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
"शब्द बोलते हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
Desert fellow Rakesh
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
दिल का हर अरमां।
दिल का हर अरमां।
Taj Mohammad
आज का बदलता माहौल
आज का बदलता माहौल
Naresh Sagar
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही
Davina Amar Thakral
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
2707.*पूर्णिका*
2707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
हत्या
हत्या
Kshma Urmila
बरसात (विरह)
बरसात (विरह)
लक्ष्मी सिंह
हिन्दी पर हाइकू .....
हिन्दी पर हाइकू .....
sushil sarna
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
Shakil Alam
लोगों को जगा दो
लोगों को जगा दो
Shekhar Chandra Mitra
पितृ दिवस134
पितृ दिवस134
Dr Archana Gupta
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
manjula chauhan
Loading...