उसे दो देखने दुनिया
गीतिका ~
*
सभी को जिन्दगी की हर खुशी का हक दिलाना है।
नहीं सैलाब अश्कों का किसी को भी बहाना है।
न मारो कोख में बेटी उसे दो देखने दुनिया,
बचाओ हर तरह उसको अगर जग को बचाना है।
लुभाती है चमन में हर कली नन्ही बहुत सबको,
वही खिलकर महक उठती उसे गुलशन सजाना है।
करें सब शक्ति की पूजा मगर यह जान लें पहले,
लबों पर बेटियों के हर समय मुस्कान लाना है।
भयंकर भेदभावों को जहाँ नारी सहन करती,
वहाँ अभिशाप कन्या भ्रूण हत्या का मिटाना है।
नए युग का मचा है खूब कोलाहल जमाने में,
सही क्या अर्थ है इसका जमाने को बताना है।
************************
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/०५/२०१८