उसी का ये ज़माना है
इरादा ये कि अब रूठे हुए रब को मनाना है,
दिलों में आस औ उम्मीद के दीपक जलाना है।
तमन्ना झूम कर नाचे सफलता भी कदम चूमे,
हमें हर इक बियाबां को चमन करके दिखाना है ।
जगाओ कुछ असर ऐसा ज़माने भर पे छा जाओ,
“जिसे आता है दिल देना उसी का ये ज़माना है ।”
दिलों में हौसला हो और हो जीने की ख़ुद्दारी,
कि अब बैसाखियों की इस ज़रूरत को हटाना है।
वहां महके गुलिस्तां हम जहां से भी गुजर जाएं,
हमें खुश्बू मुहब्बत की कुछ ऐसे उड़ाना है।
मिटा कर गर्दिशें सबकी चलो आसां करें मुश्किल
मिलाकर आँख खुशियों से गमे तूफां मिटाना है।
करो कुछ यत्न भर दो सबका दामन आज खुशियों से
कि भारत को दुबारा सोने की चिड़िया बनाना है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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