उसने हमको ना पहचाना।
क्या हुआ जो उसने हमको ना पहचाना।
उसे होश ही ना था जब मैंने उसको था जाना।।1।।
हम दिल से बड़े खुश है इसी बात से ही।
उसके काम आ गया मेरा यूं दिल का लगाना।।2।।
कोई शिकायत नहीं उससे वो अंजान है।
अच्छा हो गया मुझसे शिफा था उसको पाना।।3।।
हम ही होश में ख़्वाबों को बुनने लगे थे।
उसको तो वैसे भी था इलाज कराकर जाना।।4।।
दिल ए उम्मीद ना देनी थी हमको अपने।
मैं भूल गया था मेरा काम है यादों को लाना।।5।।
हम भी जी लेंगे बिन जताए कुछ उसको।
दिल में गमों को लेकर जीता है हर दीवाना।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ