उसने दिल मेरा तोड़ कर रख दिया…….
उसने आज फिर दिल मेरा तोड़ कर रख दिया, मैंने हाल लिखा था कागज पर और उसने उसे मोड़कर रख दिया।
उसकी नजरों से गिरकर टूट गया था मैं , उसने कांच समझकर जोड़ कर रख दिया।
आज फिर मेरे बदन में दर्द बहुत है , उसने मुझे कपड़े की तरह निचोड़कर रख दिया।
एक दुपट्टा ही लाया था मैं उसके लिए , और उसने उसे ओढ़कर रख दिया।
हमने उसके हाथों में सौंप दिया था अपना दिल , उसने उसे सीसा समझकर तोड़कर रख दिया।
उसने आज फिर दिल मेरा तोड़ कर रख दिया , मैंने हाल लिखा था कागज पर और उसने उसे मोड़कर रख दिया।
-नसीब सभ्रवाल “अक्की”
पानीपत ,हरियाणा।