Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2020 · 1 min read

उसके चले जाने से

उसके चले जाने से कुछ ज़्यादा फ़र्क़ तो नहीं पड़ा
ना मेरी रातों की तन्हाईयाँ बदली
ना दिन का भीड़भाड़ बदला
साँस भी उतनी ही लिया करता हूँ अब भी
और दिल भी वक़्त पर धड़कता रहता है।
अब पूरे का पूरा बिस्तर मेरा और सिर्फ़ मेरा था
अब तकिये को मोड़ने पे डाँटने वाला कोई न था।
बस ये घर की सीढ़ियाँ ग़मगीन हैं
अब उनपे उसके पैर जो नहीं पड़ते।
घर की छत भी कुछ ख़फ़ा सी है
पूछती हैं मुझसे वो आजकल छत पे क्यों नहीं आती हैं।
आँगन का झूला भी संग उसके झूलने को तरसता है
और वहाँ का फ़व्वारा भी अब नहीं बरसता है
फ़र्श तो जैसे बिना रंगोली बेवा सी लगती हैं
अब रसोई भी बेचारी कहाँ पहली सी दिखती हैं
खिड़कियाँ उसके गानों का इंतज़ार करती रहती हैं
उसके न होने की वजह दीवारें पूछती रहती हैं।
हाँ, बाग़ीचे के सारे फूल भी मुरझा गए हैं
रात के जुगनू भी अब टिमटिमाते नहीं
आसमान भी रातों को खाली खाली लगता है।
अलमारी में रखी उसकी किताबें,
तकिये के कवर पे जो उसने बनाये थे वो फूल
और अचार की सारी बरनीयाँ भी उसे याद करती हैं।
हाँ, उसके चले जाने से कुछ ज़्यादा फ़र्क़ तो नहीं पड़ा
ना मेरी रातों की तन्हाईयाँ बदली
ना दिन का भीड़भाड़ बदला…..

-जॉनी अहमद “क़ैस”

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 430 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
शेखर सिंह
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
Rituraj shivem verma
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
Ravi Prakash
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
कवि दीपक बवेजा
किसने किसको क्या कहा,
किसने किसको क्या कहा,
sushil sarna
सिलसिला शायरी से
सिलसिला शायरी से
हिमांशु Kulshrestha
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्यार है ही नही ज़माने में
प्यार है ही नही ज़माने में
SHAMA PARVEEN
हिंदी हमारी मातृभाषा --
हिंदी हमारी मातृभाषा --
Seema Garg
ज़िंदगी ख़त्म थोड़ी
ज़िंदगी ख़त्म थोड़ी
Dr fauzia Naseem shad
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
Neeraj Agarwal
कॉटेज हाउस
कॉटेज हाउस
Otteri Selvakumar
#सन्डे_इज_फण्डे
#सन्डे_इज_फण्डे
*प्रणय*
4004.💐 *पूर्णिका* 💐
4004.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तुझे पाने की तलाश में...!
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
*दर्शन शुल्क*
*दर्शन शुल्क*
Dhirendra Singh
Legal Quote
Legal Quote
GOVIND UIKEY
ख्वाब में देखा जब से
ख्वाब में देखा जब से
Surinder blackpen
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
ईष्र्या
ईष्र्या
Sûrëkhâ
" मानसून "
Dr. Kishan tandon kranti
"" *दिनकर* "'
सुनीलानंद महंत
अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
Rajesh vyas
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
किस्मत का खेल
किस्मत का खेल
manorath maharaj
"एक ही जीवन में
पूर्वार्थ
Loading...