उसके घर में
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अब तो नहीं किन्तु,तब तो हिसाब होगा.
उसके जहाँ में होंगे जब,तब जबाब होगा.
पढ़ो मर्शिया या गीता हर गुनाह शक्ल लेगा.
मेरी जिन्दगी का लोगो यही एक सबाब होगा.
भई हर सितम तुम्हारा तेरा जख्म होगा साबित.
जिए जख्मी जिन्दगी हो,अफ़सोस आह! होगा.
कोई करम,रहम या कोई वफा तुम्हारा.
शायद ख़ुदा तुम्हारा तब ज्यों जनाब होगा.
सचमुच यहाँ कयामत एक रोज जरुर होगा.
तेरी ही जिन्दगी तब तेरा किताब होगा.
देखोगे अपनी करतूतें जब उस जहाँ से लोगो.
मन ग्लानि से सोचो कितना खराब होगा.
अच्छे विचार रखकर अच्छे आचार करना.
मन हो प्रसन्न तब क्या नहीं लाजबाब होगा.
सो लफ्ज भी निकालें तो आदमी की भांति.
कोई गवाह न हो पर,आफ़ताब होगा.
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