उसके घर का दर्पण टूटे तो टूटे
उसके घर का दर्पण
टूटे तो टूटे
मेरे घर का जुड़ा रहे
उसका घर
तिनका तिनका बिखरे तो बिखरे
मेरा घर संवरा संवरा
निखरा रहे
उसका घर
एक खंडहर सा उजड़े तो उजड़े
मेरा घर
एक महल सा रौनक बिखेरता
बसा रहे
किसी का दिल टूटे तो टूटे
कोई अपना रूठे तो रूठे
साथ सबका छूटे तो छूटे
रिश्ते नातों का दरबार जमीन पर
धंसकर बैठे तो बैठे
किसी की सांसों की रफ्तार भी थमे तो थमे पर
अपने माथे पर एक शिकन न आये
शरीर पर कोई खरोंच न आये
मन पर कोई भार न पड़ जाये
तन में कोई दरार न पड़ जाये
होठों पर कोई कर्ज न रख जाये
किसी की जान भी गर जाये तो जाये
अपने घर
अपने सिर पर कोई
आंच न आये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001