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30 May 2024 · 1 min read

उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।

उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
सुध रही न मुझे अब सुबह शाम की।

होश गुम से हुए हैं ख्यालों में यूँ
अब रही न खबर आराम की।

मैं तो लाखों गजल यूँ लुटाता रहा
चिट्ठी आयी कोई न मेरे नाम की

जंचता ही नहीं कुछ उसके सिवा
जिंदगी अब रही न किसी काम की।

~ माधुरी महाकाश

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