उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
कानों में पिघलते शीशे सी
महसूस हो रही है ,
हर लफ्ज़ बेमानी लग रहा है
बड़े ईमान से सुनाया था उसने
हर वो कसम ठगा हुआ
महसूस करा रही है मुझे
जिसे चुपके से
मेरे आँचल में
बांध दिया था उसने..
दिल धड़कता नहीं
अब कंपकंपा रहा है
आंखे जैसे समंदर हुई जा रहीं हैं.. ..
सांसो की आवा-जाही
और आंसुओं में होड़ लगी है
जैसे तीव्रता की..
भावनाओं का आवेग
जैसे कोई सुनामी
जिन्हें समेट पाना
मेरे दायरे से बाहर हो गया है …
हिमांशु Kulshrestha