उसकी रहमत से खिलें, बंजर में भी फूल। उसकी रहमत से खिलें, बंजर में भी फूल। भ्रकुटी उसकी गर तने, चुभें सेज पर शूल।। © सीमा अग्रवाल मुरादाबाद