उसकी मोहताज़ रवानी मेरी
उसकी मोहताज़ रवानी मेरी
उसके दम से है कहानी मेरी
वो मेरा दोस्त मेरा रहबर है
पास जिस के है निशानी मेरी
दिल में पलती वो रही बचपन से
हो गई चाह सयानी मेरी
सामने चोट लगी जब उसको
आ गया आँख में पानी मेरी
उम्र के साथ बदलते चेहरे
खो गई और जवानी मेरी
रंजोग़म जो भी मिले राजा हैं
दिल की पीड़ा जो है रानी मेरी
उसका मक़सद ही ग़लत लगता है
बात लाया है पुरानी मेरी
फूटकर आज बहुत रोया वो
सुन के इस बार कहानी मेरी
घर में आनन्द अभी आया है
हर घड़ी अब है सुहानी मेरी
– डॉ आनन्द किशोर