उसकी मासूमियत
उसकी मासूमियत पे हम दिल गंवा बैठे हैं
जिंदगी की फिक्र नहीं हम जाँ लूटा बैठे हैं
उसकी मासूमियत पे………..
रोज होता है दीदार उनका मगर फिर देखो
न जाने किसलिए दिल का चैन लूटा बैठे हैं
उसकी मासूमियत पे………..
उसको मालूम नही मोहब्बत हमारी शायद
खोए रहते हैं हरदम हम यूँ होंश लूटा बैठे हैं
उसकी मासूमियत पे…………
एकलखुबसूरत तस्वीर है वो मेरे ख्वाबों की
देखते रहते हैं उन्ही को हम नींद लूटा बैठे हैं
उसकी मासूमियत पे…………
“विनोद”कुछ तो जतन कर तूँ दिवानगी का
हिम्मत इजहार-ए-मोहब्बत की लूटा बैठे हैं
उसकी मासूमियत पे………….