Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

उसकी मर्जी

रहे सन्तुलन सुख और दुख में
न बनें कभी निराश।
एक भरोसा एक बल
एक आश विश्वास।

मैं कूकुर दरबार का
पट्टा गले पड़ा।
मेरा ठाकुर मेरा मालिक,
निश दिन साथ खड़ा।

जो भी होता मेरे जीवन में,
होती उसकी मर्जी,
कभी न करूँ शिकायत उससे,
न भेजूं कोई अर्जी।

जाने कितने राजे होंगे,
आएंगे चले जाएँगे।
गर ठाकुर से विमुख रहे तो,
अंत समय पछतायेंगे।

अगर है सुख लेना अंदर का,
बाहर से रुख मोड़ों।
ध्यान करो सतगुर का मन से,
नाम से नाता जोड़ो।

चौबीस घण्टे नौबत बाजे
ठाकुर लागे प्यारा।
वाह्य भक्ति पीछे रह जाये,
अंदर हो उजियारा।

मानव देह दार हो जाए,
मकसद हल हो तेरा।
जीवन मरण का झंझट छूटे,
हरि घर होए बसेरा।

Language: Hindi
64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कहने की कोई बात नहीं है
कहने की कोई बात नहीं है
Suryakant Dwivedi
इंद्रधनुषी प्रेम
इंद्रधनुषी प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ग़़ज़ल
ग़़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
3181.*पूर्णिका*
3181.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंधेरा छाया
अंधेरा छाया
Neeraj Mishra " नीर "
सीने का समंदर, अब क्या बताऊ तुम्हें
सीने का समंदर, अब क्या बताऊ तुम्हें
The_dk_poetry
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
आदमी का मानसिक तनाव  इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
आदमी का मानसिक तनाव इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
पूर्वार्थ
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कुछ नमी अपने साथ लाता है
कुछ नमी अपने साथ लाता है
Dr fauzia Naseem shad
जीवन भर चलते रहे,
जीवन भर चलते रहे,
sushil sarna
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
विश्रान्ति.
विश्रान्ति.
Heera S
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
सच तो कुछ नहीं है
सच तो कुछ नहीं है
Neeraj Agarwal
मसरूफियत बढ़ गई है
मसरूफियत बढ़ गई है
Harminder Kaur
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी  !
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
DrLakshman Jha Parimal
दृढ़ आत्मबल की दरकार
दृढ़ आत्मबल की दरकार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बुंदेली दोहा-अनमने
बुंदेली दोहा-अनमने
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खुद से सिफारिश कर लेते हैं
खुद से सिफारिश कर लेते हैं
Smriti Singh
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
एकादशी
एकादशी
Shashi kala vyas
"कारवाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
काव्य का राज़
काव्य का राज़
Mangilal 713
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
नूरफातिमा खातून नूरी
"गेंम-वर्ल्ड"
*प्रणय प्रभात*
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
हिमांशु Kulshrestha
Loading...