उसकी आँखों में निहाँ प्यार से ख़ुश्बू आये
उसकी आँखों में निहाँ प्यार से ख़ुश्बू आये
उसकी ज़ुल्फ़ों के हरिक तार से ख़ुश्बू आये
हो चमन एक जहां फूल खिले उल्फ़त का
और जो मौज़ूद हैं हर ख़ार से ख़ुश्बू आये
इक ख़ुमारी सी है इस पार के लोगों में अजब
कोई अन्जान सी उस पार से ख़ुश्बू आये
सीधा सादा सा फ़कीरों की तरह रहता है
उसका घर ख़ास है दीवार से ख़ुश्बू आये
है समाया ही हुआ नूर ख़ुदा का बेशक़
है वही एक तो अनवार से ख़ुश्बू आये
वो शिफ़ा दे कि मुझे मर्ज़ सभी हों ग़ायब
और आनन्द के बीमार से ख़ुश्बू आये
शब्दार्थ:- अनवार=रोशनी/नूर की जमा,
शिफ़ा=रोगमुक्त करने की क्षमता/आरोग्य
~ डॉ आनन्द किशोर