उसका-मेरा साथ सुहाना….
उसका मेरा साथ सुहाना बरसों से है।
दिल से दिल का मेल सुहाना बरसों से है।
नदिया-सागर जिस छोर मिले औ एक हुए,
नयन – कोर पर बना मुहाना बरसों से है।
कितना गा लूँ फिर भी नव्यता कम न होती,
अधरों पर इक नेह- तराना बरसों से है।
मिट जाते हम कबके रंजो-गम के डर से,
उसकी खातिर जिएँ बहाना बरसों से है।
पलभर गर गुम जाए जान हलक में आए,
दिल में उसका बना ठिकाना बरसों से है।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद