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24 Apr 2024 · 1 min read

उसका दुःख

मेरी प्रतिक्रिया पाकर उसे
भारी दुःख पहुँचा था इस बार
वह मेरी प्रतिक्रियाओं में
सुख को पाने पालने का अभ्यासी था

पेड़ से गिर बिना खजूर पर अटके
धरती को धम्म से चूमना उसकी
अस्वाभाविक प्राप्ति थी अबकी!

स्वभाव में जीते हुए
स्वभाव से परे असहज पाने की
उसे तैयारी रखनी थी जबकि!

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