उल्लाला छंद
उल्लाला छंद
मृगनयनी है राधिका,मोहन चंचल मन अधीर।
लाज हया सब भूलकर,मिलते हैं यमुना तीर।
जाने जो बात हिय की, सुमीत उसे कहते हैं।
छू जाये सबका हृदय, संगीत उसे कहते हैं।
देशभक्त हुए शहीद जो,अमर उनकी प्रीत है।
सुदेश है गाता जिसे, वो वही विजय गीत है।
धक धक धड़के रे हिया,शरद चांदनी रात में।
कौंध रही पिया बिजुरी,बिन मौसम बरसात में।
नीलम शर्मा