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23 Oct 2024 · 3 min read

आप और हम जीवन के सच… मांँ और पत्नी

आप और हम जीवन के सच…….
मांँ और पत्नी
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आप और हम जीवन के सच में आज के साथ हम मांँ और पत्नी हां सच तो यही हम सभी के जीवन में अधिकांश घर में माँ का ही रूतबा बचपन से लेकर जवानी तक रहता हैं। और वैसे तो माँ का नाम और रुतबा तो बुढ़ापे तक भी रहता हैं भला हम पिता को कभी कभी नज़रंदाज़ कर देते हैं ‌‌।
एक सच यह है कि आजकल हम सभी जानते हैं कि घर के बचपन से लेकर जवानी तक बहन भाई वैवाहिक जीवन में संबंध और रिश्ते न जाने कहां खो जाते हैं। वो बहन भाई जो एक दूसरे को बचपन से माँ बाप के सानिध्य में एक दूसरे की परवाह और ख्याल रखते थे। वो विवाह के बाद अचानक बदलाव कैसे आता हैं।
यही तो जिंदगी में आप और हम जीवन के सच के साथ माँ और पत्नी जुड़े हैं। हम सभी एक दूसरे से लगाव और प्रेम रखते हैं। बस शादी के बाद नन्द को भाभी में कमी और सांस को बेटे की पत्नी मतलब बहु में कमी लगने लगती हैं। सोचों सोचों ऐसा क्यों होता हैं। बस जीवन और जिंदगी में सच कहें तब के वल एक शब्द स्वार्थ और फरेब मन भावों में आ जाता हैं। वो कैसे…….. आप और हम जीवन के सच में…….. माँ और पत्नी माँ भी तो पत्नी पिता की सोच और समझ होती हैं और हम सभी संसारिक मोह-माया के साथ जन्म लेते हैं। जब जन्म लिया तब मृत्यु भी सच हैं।
अगर हम सभी जीवन में निःस्वार्थ और संसारिक मोह-माया और आकर्षण को सहयोग न करें तब जीवन सच समझ आ सकता है। हां हमारी कहानी के किरदार और कलाकार कहानी के पाठक ही होते हैं। बस कहानियां काल्पनिक और कुदरत के रंग को सच तो कहतीं हैं परन्तु शिक्षा भी देती हैं। कि समय के साथ साथ सभी नाशवान है।
बस केवल एक मन और विचारों में सोच रहे जातीं हैं कि वो मेरा है वो मेरा था या उसको हमने दिया इस तरह के ख्याल और हम सभी जानते हैं। अब हम अपनी कहानी पर आधारित होते हैं। माँ जिसने जन्म से लेकर अपने अरमानों के साथ बहु के रूप में बेटे की पत्नी लातीं हैं। बस यही माँ और पत्नी का नाम शुरू होता हैं।
हमारे विचार और व्यवहार के साथ हम सभी बेटे की पत्नी को एक नौकर की तरह सोच बना लेते हैं और घर के काम और फिर उसकी चाहत और सपने बस सेवा भाव में बदलने का नाम रखते हैं। वो मांँ जो पत्नी बनकर बहु बनकर अपने समय से यूंही तुलना और सोच रखते हैं।
वो माँ और पत्नी समय को भूल जातीं हैं। कि बेटे की पत्नी और बहु के सच में माँ समय परिवर्तन को भूल जातीं हैं और घर की बेटियां भी यह नहीं समझतीं है कि कल हमको भी पराएं घर जाकर माँ और पत्नी की राह पर चलना है। और रिश्ते नाते की गरूऔर मर्यादा के साथ साथ समय के साथ सोचना और चलना है।
आप और हम जीवन के सच में अपने अहम और बीते समय को भूलकर अपनी सोच और व्यवहार को सहयोग नहीं कर पाते हैं। और अपने रिश्तों में दरार और अलगाव की स्थिति बना लेते हैं। और फिर एक दूसरे में कमियों के साथ रंगमंच के किरदार बिखर जाते हैं।और हमारे रिश्ते ओर हम न जाने कब अलग-अलग राह और दिशाहीन हो जातें हैं।
आप और हम जीवन के सच में हम सभी को जीवन में एक दूसरे को सहयोग और उसके उम्र के साथ साथ उसकी उमंगों का भी ख्याल और ध्यान देकर हम सभी रिश्तों को बचा सकते हैं और एक-दूसरे के सहयोग से रंग भर सकते हैं। आओ हम सभी आप और हम जीवन के सच में माँ और पत्नी को रिश्तों की सोच उम्र और समय से उमंग और इच्छा को सहयोग करते हैं। …… आओ शुरू करते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
73 Views

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