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17 Nov 2024 · 1 min read

उल्लाला छंद

उल्लाला छंद

सृजन शब्द-दिखावा

क्यों करे दिखावा झूठ रे, समझ सादगी मोल रे।
क्या तेरी क्षमता जान रे,मन दर्पण में तोल रे।।
बढ़ चढ़ कर तू नहिँ बोल रे, सच की परतें खोल रे।
मत देख किसी को डोल रे, झूठ का फ़टे ढोल रे।।

लोग दिखावा कर रहे, अपनी पहचान से
हृदय भरे अभिमान से, डरें कहाँ भगवान से।।
माया का जंजाल है, आत्मा का अपमान है
रिश्ते नाते घट रहे, दिन जीवन के कट रहे।।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

1 Like · 2 Comments · 25 Views

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