उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
चाहत का वो रुझान भी,,, अब भांड़ में जाए,,😒
वो तीर ए नज़र, फूल से लब खाक में लुथड़े
महबूब की मुस्कान भी,,, अब भांड़ में जाए,,,😒
जो मैंने लब ओ ख़ाल ओ खद यार पे लिखा
गज़लों का वो दीवान भी,,,अब भांड़ में जाए,,,😒
पहलु में तेरे बैठ के,,,,,,,कुछ वक्त गुज़ारूं
ये ख़ब्त, ये अरमान भी,,,अब भांड़ में जाए,,,😒
ता उम्र निभाएंगे,,, __,,तुझे याद रखेंगे
ये अहद,,,ये पैमान भी,,, अब भांड़ में जाए,,,😒
हां उसने मुझे मिलके भी,,,,,एहसान किया था
पर उसका वो एहसान भी,, अब भांड़ में जाए,,,😒